पारधी समाज की महिलाएं व नाबालिग बच्चे रोजाना सड़क से सामान बीनने को मजबूर

प्रशासन सुध ले, तो बदले इनकी दशा व दिशा
अनमोल संदेश, औबेदुल्लागंज
सरकार एक तरफ नगरीय क्षेत्रों में भीख मांगने पर प्रतिबंध लगा रही है, वहीं दूसरी ओर आज भी पारधी समाज की महिलाएं, लड़कियां व नाबलिक मासूम बच्चे सडक़ों का सामान बीनकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं। जिसकी ओर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है। ऐसा नहीं है कि सरकार ने इनके लिए सरकारी योजनाएं नहीं बनाई, लेकिन नगर में रहने वाले दो दर्जन पारधी समाज को आज भी सरकारी राशन नहीं मिल पा रहा है।
नगर में पारधी समाज के करीब 25 से 30 परिवार अर्जुननगर में रहते हैं। इस पारधी परिवार की महिलाएं, लड़कियां व नाबलिक मासूम बच्चे हर रोज सुबह पांच बजे से बाजार की गलियों में लोहा, प्लास्टिक, शराब की बॉटल बीनने निकल पड़ते हैं। अर्जुननगर की महिलाओं ने बताया कि पारधी समाज की सभी महिलाएं यह काम करती हैं और उनके बच्चें भी उनके साथ जाते हैं। सुबह छह बजे कुछ महिलाएं रोजाना चौराहे से नर्मदापुरम के लिए बैठती हैं। महिलाओं ने बताया कि वह नर्मदा किनारा व वार्डों में धूमकर सामान बीनती हैं। दोपहर में वहीं घरों से मांगकर भोजन कर लेती हैं और शाम को बसों से पोटरी में सामान लेकर औबेदुल्लागंज आती हैं और फिर यहां बेचती हैं। एक महिला तीन से पांच सौ रु तक सामान बीनकर कमाती हैं।
40 रु किलो का राशन लेने को मजबूर: एक पारधी समाज की महिला ने बताया कि शाम को घर जाते समय वह रोजाना 40 रु किलो में एक किलो आटा लेती है, जिससे उसके घर के पांच सदस्य भोजन करते हैं। कुछ महिलाओं ने बताया कि उनके राशन कार्ड हैं लेकिन पर्ची नहीं बनी, कुछ ने बताया कि राशन कार्ड भी नहीं बने। महिलाओं का कहना है कि जब वह सरकारी आफिस जाती हैं तो वहां से भगा दिया जाता है।
इनका कहना है...
खाद्य विभाग व नगर परिषद की संयुक्त टीम बनाकर इनके मोहल्ले में ही कैंप लगाया जाएगा, ताकि उनको राशन लेने में जो परेशानी आ रही है उसको दूर किया जा सके।
-चंद्रशेखर श्रीवास्तव, एसडीएम, गौहरगंज
यदि इन्हें राशन नहीं मिल रहा है तो जल्द सर्वे कराकर इनकी कागजी कार्रवाई पूरी कर इनको राशन दिलाने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
-लक्ष्मी सोनू चौकसे, अध्यक्ष, नप औबेदुल्लागंज
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